For Betterment Of IFTDA Vote For Ashfaque Khopekar Group दोस्तों बुरे कर्मों का बुरा नतीजा यह कहावत नहीं हकीकत है। असिस्टेंट डायरेक्टर के हक़ की लड़ाई लड़ने 1959 में बनायी गयी असोसिएशन इफटडा आज वही काम छोड़कर किसी डिक्टेटर का अड्डा बन चुकी है। मानो न मानो यह हकीकत है कभी इफटडा ऑफिस आकर आजमालो। इफटडा मे अध्यक्ष अशोक पंडित के पर्सनल और सोसायटी के काम हो रहे हैं मेम्बर्स के लिए बनायी हुए लायब्रेरी में मेम्बर जा नहीं सकते। मनमानी तरीके से हमारी असोसिएशन का फंड का इस्तेमाल हो…
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